इन दिनों कुदरत का भी अलग ही सरूर है,
चहक रही है अलग ही धुन जब इंसान उससे दूर है,
खेलता था जो उससे खेल आज वही मज़बूर है,
करता आ रहा जो परिंदों को कैद,
आज चार दीवारी में हो बैठा है खुद ही कैद,
चांद पर एक दिन जमाएं थे जिसने पैर,
एक छोटे-से वायरस ना बक्शी उसकी ख़ैर,
जब अपने मतलब के लिए इंसान ने किया सब बर्बाद,
हिला दी कुदरत की बुनियाद,
कुछ ना बचा जब तो काम आई सिर्फ फ़रियाद,
अब भी सब बिगड़ा नहीं,
साथ था जो सब कुछ छुटा नहीं,
कल एक दिन नया आएगा,
हमारी गलतियां हमको सिखाएगा,
समय रहते सीखले नादान नया सवेरा जल्दी ही आएगा.....
चहक रही है अलग ही धुन जब इंसान उससे दूर है,
खेलता था जो उससे खेल आज वही मज़बूर है,
करता आ रहा जो परिंदों को कैद,
आज चार दीवारी में हो बैठा है खुद ही कैद,
चांद पर एक दिन जमाएं थे जिसने पैर,
एक छोटे-से वायरस ना बक्शी उसकी ख़ैर,
जब अपने मतलब के लिए इंसान ने किया सब बर्बाद,
हिला दी कुदरत की बुनियाद,
कुछ ना बचा जब तो काम आई सिर्फ फ़रियाद,
अब भी सब बिगड़ा नहीं,
साथ था जो सब कुछ छुटा नहीं,
कल एक दिन नया आएगा,
हमारी गलतियां हमको सिखाएगा,
समय रहते सीखले नादान नया सवेरा जल्दी ही आएगा.....
Khoobsoorat.
ReplyDeleteWow!! Amazing piece!!
ReplyDeleteThis is amazing 🙏🤘👍 keep it up..
ReplyDeleteसीख लेगा तो सही वरना फिर पछताएगा ।।
Sahi kaha
DeleteWah!bohot achhe!
ReplyDeleteThank you
DeleteNice
ReplyDeleteThank you
DeleteWell written. Nice 👏
ReplyDeleteBest��
ReplyDeleteThank you
DeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteThank you
DeleteThank you
ReplyDeleteExcellent ।।। If today we would not understand Well ..Then it will very late
ReplyDeleteCorrectly said
DeleteVery Good
ReplyDeleteThank you
DeleteWell written. Keep it up.
ReplyDeleteThank you
DeleteVaah beta
ReplyDeleteThis shit's amazing ❤️❤️❤️