Wednesday 22 August 2018

घर

इस सफर का है जो ठिकाना,
इस मंज़िल का है जो घराना,
जहां रुह मेरी बस्ती,
जहां मिले सूकुन का अफसाना ,
बसे बचपन की यादें जहां,
हँसी की खिलखिलाहट गूंजे वहां,
तुलसी ने जिस आँगन को सजाया,
उसी आँगन ने खूब है खिलाया,
जिस चौखट ने किसी के जाने पे आंसू हैं सहे,
उसी चौखट ने किसी के आने पे हैं जश्न मनाया,
ईटों पत्थरो से ही ना बना वो,
हसीन पलों का मुकदर है वो,
हर दीवार पे लिखी ,
एक कहानी है वहां,
कुछ खट्टी कुछ मिट्ठी यादें सिमटी हैं जहां,
जहां की मिट्टी की खुशबू है बुलाती,
हवा भी कुछ अलग ही गुनगुनाती,
कभी-कभी याद उसकी रूलाती,
पूरी दुनिया की जन्नत बस्ती है वहां,
कहीं और नहीं  'घर' हैं मेरा जहां,
हाँ , 'घर' है मेरा जहां..........

21 comments:

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  2. बहुत सुंदर❤

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  3. brought back good memories. amazing work :D

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  4. No place like home ... 🤘🤗

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