कुछ पुराना सा याराना है इन वादियों से,
लेकिन हर बार देखू तो कुछ नया सा एहसास उमड़ आता है।।
कुछ लफ़्ज़ो में बयान करने लगूं इनकी खूबसूरती,
तो शब्दों का सैलाब सा दरिया की तरह बह जाता है।।
भाग-दौड़ भरी जिंदगी में ये वादियां,
ठहरा हुआ एक सकुन का पल बन जाती है।।
बेचैन मन को ना जाने,
कौन सी ढांढ़स बांध देती है।।
बहती नदियां चलतीं हवायें,
ना जाने कैसे चहरे पे हल्की सी मुस्कुराहट छोड़ जाती है।।
ख़ुश नसीब हूं जो हर रोज़ इनका दीदार कर पाती हूं,
घूम लूं पुरी दुनिया चाहे पर अपना दिल,
अपनी मोहब्बत इन पहाड़ों इन वादियों में कहीं छोड़ जाती हूं।।